मिलते है दोस्त क़िस्मत से ज़माने में
हर एक होता नहीं क़ाबिल ए ऐतबार ज़माने में,
ख़ुलूस के रिश्तों को जो निभाते है इखलास से
पाते है वही खुशियाँ जहाँ भर की ज़माने में,
खो देते है जो पुरखुलुस दोस्तों को बे ऐतबारी मे
रहते है वो सदा बे सुकुन तिश्ना बाम ज़माने में,
निभा कर तो देखो एक बार वफ़ा से दोस्ती का रिश्ता
जान दे कर भी निभा देंगे रिश्ता वफ़ा का ज़माने में..!!