मेरी बाहों पे तेरी ज़ुल्फ़ जो लहराई है

मेरी बाहों पे तेरी ज़ुल्फ़ जो लहराई है
मैं ये समझा कि बियाबाँ में बहार आई है

नाम ले ले कर तेरा लोग बुलाते हैं मुझे
क्या ख़बर ये मेरी शोहरत है कि रुस्वाई है,

मैं तेरे दर से कहीं और नहीं जा सकता
तू ने ज़ंजीर मेरे प्यार को पहनाई है,

गुनगुनाती हुई आती हैं फ़लक से बूँदें
कोई बदली तेरी पाज़ेब से टकराई है,

अब तो जाँ भी चली जाए तो क्या फ़िक्र
मैं ने तो प्यार निभाने की क़सम खाई है..!!

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