मेरे क़ातिल को पुकारो कि मैं जिंदा हूँ अभी

मेरे क़ातिल को पुकारो कि मैं जिंदा हूँ अभी
फिर से मक़तल को सँवारों कि मैं जिंदा हूँ अभी,

ये शब ए हिज्र तो साथी है मेरी बरसों से
जाओ सो जाओ सितारों कि मैं जिंदा हूँ अभी,

ये परेशाँ से गेसूं देखे नहीं जाते मुझ से
अपनी जुल्फों को सँवारों कि मैं जिंदा हूँ अभी,

लाख मौजों में घिरा हूँ अभी डूबा तो नहीं
मुझ को साहिल से पुकारो कि मैं जिंदा हूँ अभी,

कब्र से आज भी मोहसिन की आती है सदा
तुम कहाँ हो मेरे यारो कि मैं जिंदा हूँ अभी..!!

~मोहसिन

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