मैं खुश नसीबी हूँ तेरी मुझे भी रास है तू
तेरा लिबास हूँ मैं और मेरा लिबास है तू,
अज़ीब शय है मुहब्बत कि हम कहाँ जाएँ
तेरे पास हूँ मैं भी मेरे भी पास है तू,
मैं ने ख़ुद को फ़रामोश किया तेरे लिए
आम है सारा जहाँ मेरे लिए ख़ास है तू,
बंद होंठों पर मेरे रेत जमी जाती है
मेरे पास है फिर भी मेरी प्यास है तू,
दरमियाँ तेरे मेरे जब से लोग आने लगे
उस के बाद से मैं तन्हा और बे आस है तू,
ज़माना हम को जुदा कर सके नहीं मुमकिन
मुहब्बत में जो नाख़ुन हूँ मैं तो मास है तू,
दूर हो कर भी नहीं है कोई दूरी
तेरे क़रीब हूँ मैं मेरे भी पास है तू,
ये कौन तेरे मेरे दरमियाँ है जानाँ
कि मैं दर्द में हूँ और महो यास है तू,
ज़िन्दगी मेरी तेरे गिर्द घूमती है फक़त
आम है सारा जहाँ मेरे लिए एक ख़ास है तू,
अज़ीब शय है मुहब्बत मैं कहीं चला जाऊँ
तेरे क़रीब हूँ मैं और मेरी प्यास है तू..!!
















