कोशिश तो है कि ज़ब्त को रुस्वा करूँ नहीं

कोशिश तो है कि ज़ब्त को रुस्वा करूँ नहीं
हँस कर मिलूँ सभी से किसी पर खुलूँ नहीं,

क़ीमत चुका रहा हूँ मैं शोहरत की इस तरह
वो हो के रह गया हूँ जो दरअस्ल हूँ नहीं,

ऐ मौत कम ही रहता हूँ मैं अपने आप में
ऐसा न हो न कि आए तू और मैं मिलूँ नहीं..!!

~राजेश रेड्डी

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