बिछड़ कर उसका दिल लग भी गया तो क्या लगेगा

बिछड़ कर उसका दिल लग भी गया तो क्या लगेगा
वो थक जाएगा और मेरे गले से आ लगेगा,

मैं मुश्किल में तुम्हारे काम आऊँ या न आऊँ
मुझे आवाज़ दे लेना तुम्हें अच्छा लगेगा,

मैं जिस कोशिश से उसको भूल जाने में लगा हूँ
ज्यादा भी अगर लग जाए तो हफ़्ता लगेगा,

मेरे हाथों से लग कर फूल मिट्टी हो रहे हैं
मेरी आँखों से दरिया देखना सहरा लगेगा,

मेरा दुश्मन सुना है कल से भूखा लड़ रहा है
ये पहला तीर उसको नाश्ते में जा लगेगा,

कई दिन उस के भी सहराओं में गुज़रे हैं हाफ़ी
सो इस निस्बत से आईना हमारा क्या लगेगा..!!

~तहज़ीब हाफ़ी

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