किसे ख़बर थी हवा राह साफ़ करते हुए…

किसे ख़बर थी हवा राह साफ़ करते हुए
मेरा तवाफ़ करेगी तवाफ़ करते हुए,

मैं ऐसा हँस रहा था एतराफ़ करते हुए
कि वो रो पड़ा मुझको माफ़ करते हुए,

इससे बढ़ के मुहब्बत का सिला क्या होगा ?
वो मेरा हो गया सबको ख़िलाफ़ करते हुए,

बस एक प्यार ने सालिम रखा हमको यारों
रकीब मर गए हम में शिगाफ़ करते हुए,

उसे मनाने में हमने गँवा दिया उसको
कि शीशा टूट गया धूल साफ़ करते हुए,

हमारी नींद के पीछे छुपी है ताबानी
चिराग़ सो गए ये इंकिशाफ़ करते हुए…!!

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