काश ! तुम मेरी होती तो क्या गज़ब ज़िन्दगी होती
फिर ना ज़िन्दगी में हमारी कभी कोई कमी होती,
तुमने सिर्फ़ शिकवे, गिले ही पढ़े मेरे अश’आरो में
कभी उनमे छुपे प्यार पढ़े होते तो तुम्हे ख़ुशी होती,
माना तुम्हे ख़ुदा ने नवाज़ा है ज़र ए इर्तिफा ए हुस्न से
जो करते हम पे भी इनायत तो दिल में रौशनी होती,
बुरी आदत है मयकशी मगर कितनो को ज़िन्दा रखा
ना होती शराब तो सोचो फिर कितनी ख़ुदकुशी होती..!!