कहते हो तुम्हें हस्ब ए तमन्ना नहीं मिलता

कहते हो तुम्हें हस्ब ए तमन्ना नहीं मिलता
कम दाम लगाने से तो सौदा नहीं मिलता,

वो धूप हक़ीक़त में कोई धूप नहीं है
जिस से किसी इंसाँ को पसीना नहीं मिलता,

ग़ुर्बत ने अता की है मुझे इल्म की दौलत
मकतब नहीं जाता जो वज़ीफ़ा नहीं मिलता,

सब मंसब ए फ़रहाद है तेशे के सबब से
वर्ना ये उसे इश्क़ में रुत्बा नहीं मिलता,

बदनाम ए ज़माना हूँ मैं सच्चाई की ख़ातिर
अब तो मेंरे बच्चे को भी रिश्ता नहीं मिलता,

अल्लाह ग़नी है वो जिसे चाहे नवाज़े
मेहनत से हर एक शख़्स को पैसा नहीं मिलता..!!

~यासीनआतिर

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