जिस तरह चढ़ता है उसी तरह उतरता है
चोटियों पर सदा के लिए कौन ठहरता है ?
बहुत गुरूर न कर अपने आप पर ऐ नादां
मिट्टी का खिलौना है टूट कर बिखरता है,
हर हाल में ख़ुश रहता हूँ बस ये सोच कर
वक़्त चाहे जैसा भी हो एक रोज़ गुजरता है,
खौफ़ नहीं मुझको दरिया की गहराई से
जिसमे डूबने का हुनर हो वो ही उभरता है,
हालात से लड़ता रहूँगा मैं तब तक तन्हा ही
जब तक बिगड़ा मुक़द्दर नहीं सँवरता है…!!