जी चाहे तो शीशा बन जा, जी चाहे पैमाना बन जा
शीशा पैमाना क्या बनना ? मय बन जा मैख़ाना बन जा,
मय बन कर मैख़ाना बन कर मस्ती का अफ़साना बन जा
मस्ती का अफ़साना बन कर हस्ती से बेगाना बन जा,
हस्ती से बेगाना होना, मस्ती का अफ़साना बनना
इस होने से इस बनने से अच्छा है दीवाना बन जा,
दीवाना बन जाने से दीवाना हो जाना अच्छा है
दीवाना होने से अच्छा खाक़ ए दर ए जानाना बन जा,
खाक़ ए दर ए जानाना क्या है ? अहल ए दिल की आँख का सुरमा
शमा के दिल की ठंडक बन जा, नूर ए दिल ए परवाना बन जा,
सीख ज़हीन के दिल जलना, काहे को हर शमा पर जलना
अपनी आग में ख़ुद जल जाए तू ऐसा परवाना बन जा..!!
~हज़रत ज़हीन