हुजूम देख के रस्ता नहीं बदलते हम

हुजूम देख के रस्ता नहीं बदलते हम
किसी के डर से तक़ाज़ा नहीं बदलते हम,

हज़ार ज़ेर ए क़दम रास्ता हो ख़ारों का
जो चल पड़ें तो इरादा नहीं बदलते हम,

इसी लिए तो नहीं मोतबर ज़माने में
कि रंग ए सूरत ए दुनिया नहीं बदलते हम,

हवा को देख के जालिब मिसाल ए हम अस्राँ
बजा ये ज़ोम हमारा नहीं बदलते हम..!!

~हबीब जालिब

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