हर शख्स को अल्लाह की रहमत नहीं मिलती
हाँ रिज्क तो मिल जाता है बरक़त नहीं मिलती,
किस लिए तुम्हारी शमशीरे नियामों में पड़ी है
बिना तलवार उठाये तो शुजाअत नहीं मिलती
अब अपने ही अपनों के गले के काट रहे है
दिलों में अब वो पहली सी मुहब्बत नहीं मिलती,
रश्क़ ओ हसद ने इस क़दर किया हमें गाफ़िल
भाई को भाई से मिलने की फ़ुर्सत नहीं मिलती..!!