हाल ए दिल सुन के मेंरा सर ब गरेबाँ क्यूँ हैं
जो किया आप ने अब उस पे पशेमाँ क्यूँ हैं ?
मद भरे नैन ये और हुस्न ओ जवानी का निखार
आइना देख के आज आप भी हैराँ क्यूँ हैं ?
मेरी हर सई ए वफ़ा हो गई बेकार मगर
दिल में फिर भी मेंरे बढ़ते हुए अरमाँ क्यूँ हैं ?
मेंरी नाकामियों का मर्सिया पढ़ने के बजाए
कुछ बताएँ तो सही आप ग़ज़ल ख़्वाँ क्यूँ हैं ?
पहले आग़ाज़ ए मोहब्बत में सहारा दे कर
आप अब मेरी मोहब्बत से परेशाँ क्यूँ हैं ?
मेरे अशआ’र तो पढ़ते हैं बड़े शौक़ से आप
और अशआ’र के ख़ालिक़ से गुरेज़ाँ क्यूँ हैं ?
बहर ए उल्फ़त में सफ़ीने तो बहुत हैं ऐ मौज
मेरी ही कश्ती को घेरे हुए तूफ़ाँ क्यूँ हैं..??
~मौज फ़तेहगढ़ी