दुख दर्द के मारों से मेरा ज़िक्र न करना
घर जाऊँ तो यारों से मेरा ज़िक्र न करना,
वो मेरी कहानी को गलत रंग न दे दें
अफ़साना निगारों से मेरा ज़िक्र न करना,
शायद वो मेरे हाल पे बे साख्ता रो दें
इस बार बहारों से मेरा ज़िक्र न करना,
ले जाएंगे गहराई में तुमको भी बहा कर
दरिया के किनारों से मेरा ज़िक्र न करना,
वो शख़्स मिले तो उसे हर बात बताना
तुम सिर्फ़ इशारों से मेरा ज़िक्र न करना..!!
~वसी शाह