दोस्तों से रसाई सोचेंगे
सबसे हो आशनाई सोचेंगे,
सोचती चाहे जो रहे दुनियाँ
हम तो सबकी भलाई सोचेंगे,
प्यार करते रहे है मुखलिस जो
कैसे फिर बेवफ़ाई सोचेंगे,
बेवफ़ाई की गर मेरे जानाँ
फिर कभी हम जुदाई सोचेंगे,
नाचना तो नहीं मुझे आता
जब मैं नाचूँगा भाई सोचेंगे,
लिख गज़ल इसलिए रहा हूँ मैं
फिर ख़ुदा की खुदाई सोचेंगे,
जब हमारी क़िताब आयेगी
हम भी फिर रुनुमाई सोचेंगे,
मिल न इंसाफ़ गर सका मुझको
जब ये गोली चलाई सोचेंगे,
हम किसी को दुःख नहीं देते
जब कभी सर पे आई सोचेंगे..!!