दिल धड़कने का सबब याद आया
वो तेरी याद थी अब याद आया,
आज मुश्किल था सँभलना ऐ दोस्त
तू मुसीबत में अजब याद आया,
दिन गुज़ारा था बड़ी मुश्किल से
फिर तेरा वादा ए शब याद आया,
तेरा भूला हुआ पैमान ए वफ़ा
मर रहेंगे अगर अब याद आया,
फिर कई लोग नज़र से गुज़रे
फिर कोई शहर ए तरब याद आया,
हाल ए दिल हम भी सुनाते लेकिन
जब वो रुख़्सत हुआ तब याद आया,
बैठ कर साया ए गुल में नासिर
हम बहुत रोए वो जब याद आया..!!
~नासिर काज़मी
निय्यत ए शौक़ भर न जाए कहीं
➤ आप इन्हें भी पढ़ सकते हैं






























1 thought on “दिल धड़कने का सबब याद आया”