देसों में सब से अच्छा हिन्दोस्तान मेरा
रू ए ज़मीं पे जन्नत, जन्नत निशान मेरा,
वो प्यारा प्यारा मंज़र, वो मोहनी फ़ज़ाएँ
वो ऊँचे ऊँचे पर्बत वो दिलफ़ज़ा गुफाएँ,
तीनों तरफ़ समुंदर, चौथी तरफ़ हिमाला
है पासबान इसका, इसका बनाने वाला,
ग़ुंचों का वो चटकना, फूलों का वो महकना
पंछी पखेरुओं का वो सुबह दम चहकना,
धीमे सुरों में गंगा ये गीत गा रही है
जमुना भी अपने मुँह में ये गुनगुना रही है,
गोकुल का एक ग्वाला बंसी बजा रहा है
बंसी की लय में वो भी इक गीत गा रहा है,
दुनिया के सारे मेवे इस गुलिस्तान में हैं
सब नेमतें मयस्सर हिन्दोस्तान में हैं,
मेरा निशाँ यही है, मेरा जहाँ यही है
जन्नत मेरी यही है, मेरा मकाँ यही है,
देसों में सब से अच्छा हिन्दोस्तान मेरा
रू ए ज़मीं पे जन्नत, जन्नत निशान मेरा..!!
~अर्श मलसियानी