बहुत रौशन है शाम ए ग़म हमारी

bahut raushan hai shaam e gam humari

बहुत रौशन है शाम ए ग़म हमारी किसी की याद है हमदम हमारी, ग़लत है ला तअल्लुक़ हैं

कम पुराना बहुत नया था फ़िराक़

kam purana bahut naya tha firaq

कम पुराना बहुत नया था फ़िराक़ एक अजब रम्ज़ आशना था फ़िराक़, दूर वो कब हुआ निगाहों से

हम आवारा गाँव गाँव बस्ती बस्ती फिरने वाले

hum awara gaanv gaanv basti basti firne wale

हम आवारा गाँव गाँव बस्ती बस्ती फिरने वाले हम से प्रीत बढ़ा कर कोई मुफ़्त में क्यूँ ग़म

यूँ वो ज़ुल्मत से रहा दस्त ओ गरेबाँ यारो

yun wo zulmat se raha dast o garebaan yaaro

यूँ वो ज़ुल्मत से रहा दस्त ओ गरेबाँ यारो उस से लर्ज़ां थे बहुत शब के निगहबाँ यारो,

दिल वालो क्यूँ दिल सी दौलत यूँ बे कार लुटाते हो

dil walon kyun dil see daulat yun be kar lutate ho

दिल वालो क्यूँ दिल सी दौलत यूँ बे कार लुटाते हो क्यूँ इस अँधियारी बस्ती में प्यार की

दरख़्त सूख गए रुक गए नदी नाले

darakht sookh gaye rook gaye nadi naale

दरख़्त सूख गए रुक गए नदी नाले ये किस नगर को रवाना हुए हैं घर वाले ? कहानियाँ

जब कोई कली सेहन ए गुलिस्ताँ में खिली है

jab koi kali sehan e gulistaan me khili hai

जब कोई कली सेहन ए गुलिस्ताँ में खिली है शबनम मेरी आँखों में वहीं तैर गई है, जिस

उस ने जब हँस के नमस्कार किया

us ne jab hans ke namskar kiya

उस ने जब हँस के नमस्कार किया मुझ को इंसान से अवतार किया, दश्त ए ग़ुर्बत में दिल

तेरी आँखों का अजब तुर्फ़ा समाँ देखा है

teri aankhon ka azab turfaa samaan dekha hai

तेरी आँखों का अजब तुर्फ़ा समाँ देखा है एक आलम तेरी जानिब निगराँ देखा है, कितने अनवार सिमट

ये जो शब के ऐवानों में इक हलचल एक हश्र बपा है

ye jo shab ke aewano me ek hulchal hashr bapa hai

ये जो शब के ऐवानों में इक हलचल एक हश्र बपा है ये जो अंधेरा सिमट रहा है