एक दिन मुल्क के हर घर में उजाला होगा…
एक दिन मुल्क के हर घर में उजाला होगा हर शख्स यहाँ सबका भला चाहने वाला होगा, इंसानों
Political Poetry
एक दिन मुल्क के हर घर में उजाला होगा हर शख्स यहाँ सबका भला चाहने वाला होगा, इंसानों
वही ताज है वही तख़्त है वही ज़हर है वही जाम है ये वही ख़ुदा की ज़मीन है
अज़ब ही मेरे मुल्क की कहानी है यहाँ सस्ता खून पर महँगा पानी है, खिले है फूल कागज़
आवाम भूख से देखो निढाल है कि नहीं ? हर एक चेहरे से ज़ाहिर मलाल है कि नहीं
बस एक ही हल इसका हमारे पास है लोगो जो हुक्मराँ बिक जाए वो बकवास है लोगो, किस
चुनाव से पहले मशरूफ़ होते है सारे ही उम्मीदवार दिन रात मीटिंगे होती है इन सबके प्यादे और
वतन की सर ज़मी से इश्क़ ओ उल्फ़त ही नहीं खटकती जो रहे दिल में वो हसरत हम
चंद सिक्को के एवज़ हर ज़ुर्म के सबूत मिटाने वालो इक्तिदार के नशे में धूत, लोगो पे ज़ुल्म
सुनो ! दौर ए बेहिस में जब कमाली हार जाता है हरामी जीत जाते है हलाली हार जाता
ख़बरें हुकुमत की क़ब्रें आवाम की हमको नहीं है लालच तुम्हारे इनाम की, बोया है तुमने जो भी