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Political Poetry

सियासत मुफ़ादात में खो गई है

सियासत-मुफ़ादात-में-खो

सियासत मुफ़ादात में खो गई है हुकुमत न जाने कहाँ सो गई है ? आवामी मसायेल इन्हें तब …

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तेरे जहाँ से अलग एक जहान चाहता हूँ

तेरे जहाँ से अलग

तेरे जहाँ से अलग एक जहान चाहता हूँ नई ज़मीन नया आसमान चाहता हूँ, बदन की क़ैद से …

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किताब सादा रहेगी कब तक ?

किताब सादा रहेगी कब

किताब सादा रहेगी कब तक ? कभी तो आगाज़ ए बाब होगा, जिन्होंने बस्तियाँ उजाड़ी है कभी तो …

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कहीं दिरहम कहीं डॉलर कहीं दीनार का झगड़ा

कहीं दिरहम कहीं डॉलर

कहीं दिरहम कहीं डॉलर कहीं दीनार का झगड़ा कहीं दिरहम कहीं डॉलर कहीं दीनार का झगड़ा कहीं लहँगा …

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नाम से गाँधी के चिढ़ और बैर आज़ादी से है

नाम से गाँधी के चिढ़

नाम से गाँधी के चिढ़ और बैर आज़ादी से है नाम से गाँधी के चिढ़ और बैर आज़ादी …

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बुरी है कीजिए नफ़रत निहायत

बुरी है कीजिए नफ़रत

बुरी है कीजिए नफ़रत निहायत बुरी है कीजिए नफ़रत निहायत मिटाए दिल से सदियों की अदावत चलो हम …

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हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी हो

har ek ghar me diya bhi jale

हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी हो अगर न हो कहीं ऐसा तो एहतिजाज भी …

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तुम अपने अक़ीदों के नेज़े…

tum apne akido ke neze

तुम अपने अक़ीदों के नेज़े हर दिल में उतारे जाते हो, हम लोग मोहब्बत वाले हैं तुम ख़ंजर …

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हर घड़ी चश्म ए ख़रीदार में रहने के लिए

har ghadi chasm e kharidaar me rahne ke liye

हर घड़ी चश्म ए ख़रीदार में रहने के लिए कुछ हुनर चाहिए बाज़ार में रहने के लिए, मैं …

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मुझे यकीं है अब हमारा जहान बदलेगा

mujhe yaqin hai ab hamara jahan badlega

मुझे यकीं है अब हमारा जहान बदलेगा ज़मीन बदलेगी और आसमान बदलेगा, ये खार बदलेंगे और खारज़ाद बदलेगा …

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने

सोच बदल जाती है

सोच बदल जाती है,हालात बदल जाते हैं

उजड़े हुए हड़प्पा के

उजड़े हुए हड़प्पा के आसार की तरह

निगाह ए यार के

निगाह ए यार के बदलने में कुछ देर नहीं लगती

कोई सुनता ही नहीं

कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ

जानता हूँ कि तुझे

जानता हूँ कि तुझे साथ तो रखते है कई

मेरे उसके दरमियाँ ये

मेरे उसके दरमियाँ ये राब्ता है और बस

चल निकलती हैं ग़म

चल निकलती हैं ग़म ए यार से बातें क्या क्या

ऐसा है कि सब ख़्वाब

ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते

अब तक यही सुना

अब तक यही सुना था कि बाज़ार बिक गए

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने