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Patriotic Poetry

क्या आँधियाँ बड़ी आने वाली है….

kya aandhiya badi aane wali hai

क्या आँधियाँ बड़ी आने वाली है क्या कुछ बुरा होने वाला है ? इन्सान पहले से कुछ नहीं …

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देसों में सब से अच्छा हिन्दोस्तान मेरा…

deso me sabse achcha hindostan mera

देसों में सब से अच्छा हिन्दोस्तान मेरा रू ए ज़मीं पे जन्नत, जन्नत निशान मेरा, वो प्यारा प्यारा …

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मुबारक़ हो ! अहल ए वतन क्या ख़ूब…

sone ki chidiya ko bhi khada kar diya bhookhe nange ki qataro me

मुबारक़ हो ! अहल ए वतन क्या ख़ूब इज्ज़त बख्शी है आलमी अखबारों ने   सोने की चिड़िया …

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हम एक ख़ुदा के बन्दे है और एक जहाँ में बसते है

hum ek khuda ke bande aur ek jahan me baste hai

हम एक ख़ुदा के बन्दे है और एक जहाँ में बसते है, रब भी जब चाहे हम साथ …

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ये नफ़रतो की सदाएँ, वतन का क्या होगा ?

is bahte hue lahoo me

ये नफ़रतो की सदाएँ, वतन का क्या होगा ? हवा में आग बही, तो चमन का क्या होगा …

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एक टूटी हुई ज़ंजीर की फ़रियाद हैं हम…

ek tuti hui zanjir ki fariyad hai ham

एक टूटी हुई ज़ंजीर की फ़रियाद हैं हम और दुनिया ये समझती है कि आज़ाद हैं हम, क्यूँ …

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गर हक़ चाहते हो तो फिर जंग लड़ो…

gar haq chahte ho to jang lado guhar lagane se kahan nizam badlega

गर हक़ चाहते हो तो फिर जंग लड़ो गुहार लगाने से कहाँ ये निज़ाम बदलेगा, छाँव ढूँढ़ते हो, …

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कैसे मंज़र सामने आने लगे हैं…

kaise manzar samne aane lage hai

कैसे मंज़र सामने आने लगे हैं गाते गाते लोग चिल्लाने लगे हैं, अब तो इस तालाब का पानी …

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एक दिन मुल्क के हर घर में उजाला होगा…

ek din mulq ke har ghar me ujala hoga

एक दिन मुल्क के हर घर में उजाला होगा हर शख्स यहाँ सबका भला चाहने वाला होगा, इंसानों …

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वही ताज है वही तख़्त है वही ज़हर है वही जाम है…

wahi taaz hai wahi takht hai wahi zahar hai

वही ताज है वही तख़्त है वही ज़हर है वही जाम है ये वही ख़ुदा की ज़मीन है …

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने

सोच बदल जाती है

सोच बदल जाती है,हालात बदल जाते हैं

उजड़े हुए हड़प्पा के

उजड़े हुए हड़प्पा के आसार की तरह

निगाह ए यार के

निगाह ए यार के बदलने में कुछ देर नहीं लगती

कोई सुनता ही नहीं

कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ

जानता हूँ कि तुझे

जानता हूँ कि तुझे साथ तो रखते है कई

मेरे उसके दरमियाँ ये

मेरे उसके दरमियाँ ये राब्ता है और बस

चल निकलती हैं ग़म

चल निकलती हैं ग़म ए यार से बातें क्या क्या

ऐसा है कि सब ख़्वाब

ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते

अब तक यही सुना

अब तक यही सुना था कि बाज़ार बिक गए

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने