सियासत ने बदला में’यार मुल्क में हुक्मरानी का…
सियासत ने बदला में’यार मुल्क में हुक्मरानी का देश चलने लगा है पा कर इशारे अमीर घरानों से,
Patriotic Poetry
सियासत ने बदला में’यार मुल्क में हुक्मरानी का देश चलने लगा है पा कर इशारे अमीर घरानों से,
है बहुत अँधेरा अब सूरज निकलना चाहिए जैसे भी हो अब ये मौसम बदलना चाहिए, रोज़ जो चेहरे
चेहरे का ये निखार मुक़म्मल तो कीजिए ये रूप ये सिंगार मुक़म्मल तो कीजिए, रहने ही दे हुज़ूर
फ़लक पे चाँद के हाले भी सोग करते हैं जो तू नहीं तो उजाले भी सोग करते हैं,
खून अपना हो या पराया हो नस्ल ए आदम का खून है आखिर, जंग मशरिक़ में हो
एक अरसे से जमीं से लापता है इन्किलाब कोई बतलाये कहाँ गायब हुआ है इन्किलाब, एक वो भी
गुलों में रंग न खुशबू, गरूर फिर भी है नशे में रूप के वो चूर-चूर फिर भी है,
तुम जैसे तो लाखो ही थे, है और भी आएँगे मगर हम जैसे तुम्हे बहुत कम ही मिल
मैंने पल भर में यहाँ लोगो को बदलते हुए देखा है ज़िन्दगी से हारे हुए लोगो को जीतते
जिधर देखते है हर तरफ गमो के अम्बार देखते है हर किसी को रंज़ ओ अलम में गिरफ्तार