आँख में पानी रखो होंठों पे चिंगारी रखो
आँख में पानी रखो होंठों पे चिंगारी रखो ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी …
आँख में पानी रखो होंठों पे चिंगारी रखो ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी …
किस को मालूम है क्या होगा नज़र से पहले होगा कोई भी जहाँ ज़ात ए …
भरोसा कैसे करे कोई अब तिज़ारत के हवालो का ? न रहा सत्ता का यकीं …
अपने थके हुए दस्त ए तलब से माँगते है जो माँगते नहीं रब से वो …
जो होने वाला है वो हादसा दिखाई तो दे कोई चराग जलाओ हवा दिखाई तो …
हर गम से मुस्कुराने का हौसला मिलता है ये दिल ही तो है जो गिरता …
कुछ चलेगा ज़नाब, कुछ भी नहीं चाय, कॉफ़ी, शराब, कुछ भी नहीं, चुप रहे तो …
खून में डूबी सियासत नहीं देखी जाती हमसे अब देश की हालत नहीं देखी जाती, …
किसी कमज़ोर की जब भी दुआएँ गूँज उठती है अबाबीलों के लश्कर से फज़ाएँ गूँज …
लेना देना ही क्या फिर ऐसे यारो से ? सुख दुःख भी जब बाँटने हो …