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Miscellaneous

किसी कमज़ोर की जब भी दुआएँ गूँज उठती है

किसी कमज़ोर की जब

किसी कमज़ोर की जब भी दुआएँ गूँज उठती है अबाबीलों के लश्कर से फज़ाएँ गूँज उठती है, ख़ामोशी …

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तू इस क़दर मुझे अपने क़रीब लगता है

तू इस क़दर मुझे

तू इस क़दर मुझे अपने क़रीब लगता है तुझे अलग से जो सोचू अजीब लगता है, जिसे ना …

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मुश्किल चाहे लाख हो लेकिन एक दिन तो हल होती है

mushkil chahe laakh ho ek din to hal hoti hai

मुश्किल चाहे लाख हो लेकिन एक दिन तो हल होती है ज़िन्दा लोगों की दुनिया में अक्सर हलचल …

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हमें कुछ पता नहीं है हम क्यूँ बहक रहे हैं ?

hame kuch pata nahi ham kyun bahak rahe hai

हमें कुछ पता नहीं है हम क्यूँ बहक रहे हैं ? रातें सुलग रही हैं दिन भी दहक …

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लेना देना ही क्या फिर ऐसे यारो से ?

लेना देना ही क्या

लेना देना ही क्या फिर ऐसे यारो से ? सुख दुःख भी जब बाँटने हो दीवारों से, ज़िस्म …

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हिज़ाब तेरे चेहरे पर मैं सजा दूँ…

Bazme_love4

हिज़ाब तेरे चेहरे पर आ मैं सजा दूँ बाग़ ए इरम की तुझे मैं हूर बना दूँ,   …

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अब ज़िन्दगी पे हो गई भारी शरारतें…

ab zindagi pe ho gai bhari shararten

अब ज़िन्दगी पे हो गई भारी शरारतें तन्हाइयो ने छीन ली सारी शरारतें, होंठो के गुलिस्तान पे लाली …

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जब दुश्मनों के चार सू लश्कर निकल पड़े…

जब दुश्मनों के चार

जब दुश्मनों के चार सू लश्कर निकल पड़े हम भी कफ़न बाँध के सर पर निकल पड़े, जिन …

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मुमकिन ही न थी ख़ुद से शनासाई यहाँ तक…

ek raat lagti hai ek sahar banane me

मुमकिन ही न थी ख़ुद से शनासाई यहाँ तक ले आया मुझे मेरा तमाशाई यहाँ तक, रस्ता हो …

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वो एक लम्हा मुहब्बत भरा तेरे साथ…

wo ek lamha muhabbat bhara tere saath

वो एक लम्हा मुहब्बत भरा तेरे साथ ज़िन्दगी भर की ख़ुशियों पर भारी है, हम ही नहीं दिल …

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने

सोच बदल जाती है

सोच बदल जाती है,हालात बदल जाते हैं

उजड़े हुए हड़प्पा के

उजड़े हुए हड़प्पा के आसार की तरह

निगाह ए यार के

निगाह ए यार के बदलने में कुछ देर नहीं लगती

कोई सुनता ही नहीं

कोई सुनता ही नहीं किस को सुनाने लग जाएँ

जानता हूँ कि तुझे

जानता हूँ कि तुझे साथ तो रखते है कई

मेरे उसके दरमियाँ ये

मेरे उसके दरमियाँ ये राब्ता है और बस

चल निकलती हैं ग़म

चल निकलती हैं ग़म ए यार से बातें क्या क्या

ऐसा है कि सब ख़्वाब

ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते

अब तक यही सुना

अब तक यही सुना था कि बाज़ार बिक गए

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तुझे पुकारा है बे

तुझे पुकारा है बे इरादा

फिर हरीफ़ ए बहार

फिर हरीफ़ ए बहार हो बैठे

हर सम्त परेशाँ तिरी

हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने