नफ़रत को छोड़ द तू मुहब्बत की बात कर…
नफ़रत को छोड़ द तू मुहब्बत की बात कर इत्तिहाद ओ अमन ओ शराफ़त की बात कर, मत …
नफ़रत को छोड़ द तू मुहब्बत की बात कर इत्तिहाद ओ अमन ओ शराफ़त की बात कर, मत …
अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम …
कहानियों ने ज़रा खींच कर बदन अपने हरम सरा से बुलाया हमें वतन अपने, खुले गले की क़मीसें …
अदा है ख़्वाब है तस्कीन है तमाशा है हमारी आँख में एक शख़्स बेतहाशा है, ज़रा सी चाय …
तुम्हे न फिर से सताएँगे हम, ख़ुदा हाफिज़ कि अब न लौट के आएँगे हम, ख़ुदा हाफिज़, रखेंगे …
दिल ने जब जब तुझ पे इंहिसार किया तुमने ख़ुद को और भी बे ऐतबार किया, तू चल …
नादान न बन इतना तू हर सवाल का जवाब जानता है मेरी नींदे चुराने वाले तू मेरा हर …
बहुत गुमान था मौसम शनास होने का वही बहाना बना है उदास होने का, बदन को काढ़ लिया …
बहुत कठिन ही सही मगर किया जाए अना से तर्क ए अना तक सफ़र किया जाए, जब अपनी …
मैं जो महका तो मेरी शाख़ जला दी उसने सब्ज़ मौसम में मुझे ज़र्द हवा दी उसने, पहले …