फ़ना कुछ नहीं है बक़ा कुछ नहीं है

fana kuch nahi hai baqa kuch nahi hai

फ़ना कुछ नहीं है बक़ा कुछ नहीं है फ़क़त वहम है मा सिवा कुछ नहीं है, मेरा उज़्र

इस तरह गुम हूँ ख़यालों में कुछ एहसास नहीं

is tarah goom hoon khyaalon me kuch ehsas nahin

इस तरह गुम हूँ ख़यालों में कुछ एहसास नहीं कौन है पास मेरे कौन मेरे पास नहीं, दर्द

जुदा उस जिस्म से हो कर कहीं तहलील हो जाता

juda us zism se ho kar kahin tahlil ho jaata

जुदा उस जिस्म से हो कर कहीं तहलील हो जाता फ़ना होते ही लाफ़ानी में मैं तब्दील हो

अमीरों के बुरे अतवार को जो ठीक समझे है

amiron ke bure atwaar ko jo thik samjhe hain

अमीरों के बुरे अतवार को जो ठीक समझे है मेरी हक़ बात को वो क़ाबिल ए तश्कीक समझे

ये कहना आसान नहीं है

ye kahna aasaan nahi hai

ये कहना आसान नहीं है दिल में कोई अरमान है, हिम्मत की तो पाई मंज़िल दुनिया का एहसान

मोहब्बत ख़ुद ही अपनी पर्दादार ए राज़ होती है

mohabbat khud hi apni pardadar e raaz hoti hai

मोहब्बत ख़ुद ही अपनी पर्दादार ए राज़ होती है जो दिल पर चोट लगती है वो बे आवाज़

तस्कीन न हो जिस में वो राज़ बदल डालो

taskeen na ho jis me wo raaz badal daalo

तस्कीन न हो जिस में वो राज़ बदल डालो जो राज़ न रख पाए हमराज़ बदल डालो, तुम

रहोगे हम से कब तक बेख़बर से

rahoge hum se kab tak bekhabar se

रहोगे हम से कब तक बेख़बर से जुदा होती नहीं दीवार दर से, मुसाफ़िर हाल क्या अपना सुनाए

हालात पर निगाह रुतों पर नज़र न थी

halaat par nigaah ruto par nazar na thi

हालात पर निगाह रुतों पर नज़र न थी जब तक रहे चमन में चमन की ख़बर न थी,

इतना सैराब होने वाला था

itna sairab hone wala tha

इतना सैराब होने वाला था मैं तह ए आब होने वाला था, तेज़ उस हुस्न की हरारत थी