वो मेरे साथ आने पे तैयार हो गया
वो मेरे साथ आने पे तैयार हो गया सोते से हड़बड़ा के मैं बेदार हो गया, उस के
General Poetry
वो मेरे साथ आने पे तैयार हो गया सोते से हड़बड़ा के मैं बेदार हो गया, उस के
गिरह में रिश्वत का माल रखिए ज़रूरतों को बहाल रखिए, बिछाए रखिए अँधेरा हर सू सितारा कोई उछाल
थोड़ी सर्दी ज़रा सा नज़ला है शायरी का मिज़ाज पतला है, सुनने वालों का कुछ क़ुसूर नहीं नया
दुख का एहसास न मारा जाए आज जी खोल के हारा जाए, इन मकानों में कोई भूत भी
सुखाने बाल ही कोठे पे आ गए होते इसी बहाने ज़रा मुँह दिखा गए होते, तुम्हें भी वक़्त
सच है कि वो बुरा था हर एक से लड़ा किया लेकिन उसे ज़लील किया ये बुरा किया,
ऐसा हुआ नहीं है पर ऐसा न हो कहीं उस ने मुझे न देख के देखा न हो
रात पड़े घर जाना है सुब्ह तलक मर जाना है, जाग के पछताना है बहुत सोते में डर
क्या कहते क्या जी में था शोर बहुत बस्ती में था, पहली बूँद गिरी टप से फिर सब
तीसरी आँख खुलेगी तो दिखाई देगा और कै दिन मेरा हमज़ाद जुदाई देगा ? वो न आएगा मगर