ऐ निगाह ए दोस्त ये क्या हो गया, क्या कर दिया…

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ऐ निगाह ए दोस्त ये क्या हो गया क्या कर दिया पहले पहले रौशनी दी फिर अँधेरा कर

फ़लक पे कितना उदास कितना तन्हा…

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फ़लक पे कितना उदास कितना तन्हा कितना बेकस सा लगा हिलाल ए ईद, हम हुजूम ए शहर में

मैं हूँ मेरी चश्म-ए-तर है रात है तन्हाई है…

मैं हूँ मेरी चश्म-ए-तर

मैं हूँ मेरी चश्म-ए-तर है रात है तन्हाई है दर्द मेरा हम-सफ़र है रात है तन्हाई है, जुगनुओं

कहते हैं ईद है आज अपनी भी ईद होती…

कहते हैं ईद है आज

कहते हैं ईद है आज अपनी भी ईद होती हम को अगर मयस्सर जानाँ की दीद होती, क़ीमत

आये जो वो तो दिल के सब अरमान मचल गए…

आये जो वो तो

आये जो वो तो दिल के सब अरमान मचल गएबुझते हुए चिराग़ ए वफ़ा फिर से जल गए,

पीत करना तो हम से निभाना सजन…

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पीत करना तो हम से निभाना सजनहम ने पहले ही दिन था कहा ना सजन, तुम ही मजबूर

किस को पार उतारा तुम ने किस को पार उतारोगे…

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किस को पार उतारा तुम ने किस को पार उतारोगेमल्लाहो तुम परदेसी को बीच भँवर में मारोगे, मुँह

कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तेरा…

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कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तेराकुछ ने कहा ये चाँद है कुछ ने कहा

ये मेरी ग़ज़लें ये मेरी नज़्में तमाम तेरी हिकायतें हैं…

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ये मेरी ग़ज़लें ये मेरी नज़्में तमाम तेरी हिकायतें हैंये तज़किरे तेरी लुत्फ़ के हैं ये शेर तेरी

बहार रुत में उजाड़ रस्ते…

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बहार रुत में उजाड़ रस्तेतका करोगे तो रो पड़ोगे, किसे से मिलने को जब भीसजा करोगे तो रो