बहार रुत में उजाड़ रस्ते
तका करोगे तो रो पड़ोगे,
किसे से मिलने को जब भी
सजा करोगे तो रो पड़ोगे,
तुम्हारे वायदों ने यार मुझको
तबाह किया है कुछ इस तरह,
कि ज़िन्दगी में जो फिर किसी से
दगा करोगे तो रो पड़ोगे,
मैं जानता हूँ मेरी मुहब्बत
उजाड़ देगी तुम्हे भी ऐसे,
कि चाँद रातो में अब किसी से
मिला करोगे तो रो पड़ोगे,
बरसती बारिश में याद रखना
तुम्हे सताएंगी मेरी आँखे,
किसी वली के मज़ार पर जब
दुआ करोगे तो रो पड़ोगे..!!