कर के सारी हदों को पार चला….
कर के सारी हदों को पार चलाआज फिर से मैं कु ए यार चला, उसने वायदा किया था …
कर के सारी हदों को पार चलाआज फिर से मैं कु ए यार चला, उसने वायदा किया था …
पलकों को तेरी शर्म से झुकता हुआ मैं देखूँधड़कन को अपने दिल की रुकता हुआ मैं देखूँ, पीने …
रुख से नक़ाब उनके जो हटती चली गईचादर सी एक नूर की बिछती चली गई, आये वो मेरे …
हर नाला तिरे दर्द से अब और ही कुछ हैहर नग़्मा सर-ए-बज़्म-ए-तरब और ही कुछ है, अरबाब-ए-वफ़ा जान …
जिन्हें कर सका न क़ुबूल मैंवो शरीक़ राह ए सफ़र हुए, जो मेरी तलब मेरी आस थेवही लोग …
अभी क्या कहेअभी क्या सुने? कि सर ए फसील ए सकूत ए जाँकफ़ ए रोज़ ओ शब पे …
कभी ऐसा भी होता है ?कि जिसको हमसफ़र जानेकि जो शरीक़ ए दर्द होवही हमसे बिछड़ जाए, कभी …
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार केवो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के, वीराँ है मय-कदा ख़ुम-ओ-साग़र …
नख्ल ए ममनूअ के रुख दोबारा गया, मैं तो मारा गयाअर्श से फ़र्श पर क्यूँ उतारा गया ? …
उस ने सुकूत-ए-शब में भी अपना पयाम रख दियाहिज्र की रात बाम पर माह-ए-तमाम रख दिया, आमद-ए-दोस्त की …