ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में
ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में एक पुराना ख़त खोला अनजाने में, शाम के साए बालिश्तों से नापे
Gulzar
ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में एक पुराना ख़त खोला अनजाने में, शाम के साए बालिश्तों से नापे
ज़िन्दगी यूँ हुई बसर तन्हा काफ़िला साथ और सफ़र तन्हा, अपने साये से चौक जाते है उम्र गुज़री
तिनका तिनका काँटे तोड़े सारी रात कटाई की क्यूँ इतनी लम्बी होती है चाँदनी रात जुदाई की ?
सहमा सहमा डरा सा रहता है जाने क्यूँ जी भरा सा रहता है, काई सी जम गई है
शाम से आज साँस भारी है बे क़रारी सी बे क़रारी है, आपके बाद हर घड़ी हमने आपके