ख़िज़ाँ रसीदा चमन में अक्सर

khijaan rasidaa chaman me aksar

ख़िज़ाँ रसीदा चमन में अक्सर खिला खिला सा गुलाब देखा, गज़ब का हुस्न ओ शबाब देखा ज़मीन पर

आसमान से इनायतें न तुझे मिलीं न मुझे मिलीं

aasmaan se inayaten naa tujhe mili naa mujhe mili

आसमान से इनायतें न तुझे मिलीं न मुझे मिलीं मुहब्बतों से राहतें न तुझे मिलीं न मुझे मिलीं,

किस क़दर साहब ए क़िरदार समझते हैं मुझे

kis qadar sahab e kirdar samjhte hai mujhe

किस क़दर साहब ए क़िरदार समझते हैं मुझे मुझको था ज़ो’म मेरे यार समझते हैं मुझे, अब तो

बार ए गम ए हयात उठाया तो रो पड़े

baar e gam e hayat uthaya to

बार ए गम ए हयात उठाया तो रो पड़े जब ज़ीस्त ने मजाक उड़ाया तो रो पड़े, रहता

बताओ कौन कहता है ? मुहब्बत बस कहानी है

bataao kaun kahta hai muhabbat bas kahani hai

बताओ कौन कहता है ? मुहब्बत बस कहानी है मुहब्बत तो सहीफ़ा है, मुहब्बत आसमानी है, मुहब्बत को

नींद नहीं आती कितनी अकेली हो गई

neend nahi aati kitni akeli ho gai

नींद नहीं आती कितनी अकेली हो गई रफ़ू करते करते ज़िन्दगी पहेली हो गई, ये हसरतें भी ख़्वाब

हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी हो

har ek ghar me diya bhi jale

हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी हो अगर न हो कहीं ऐसा तो एहतिजाज भी

नई नई आँखें हों तो हर मंज़र अच्छा लगता है

nayi nayi aankhen ho to har manzar

नई नई आँखें हों तो हर मंज़र अच्छा लगता है कुछ दिन शहर में घूमे लेकिन अब घर

आज ज़रा फ़ुर्सत पाई थी…

aaj zara fursat paai thi

आज ज़रा फ़ुर्सत पाई थी आज उसे फिर याद किया बंद गली के आख़िरी घर को खोल के

मुँह की बात सुने हर कोई…

munh ki baat sune har koi

मुँह की बात सुने हर कोई दिल के दर्द को जाने कौन आवाज़ों के बाज़ारों में ख़ामोशी पहचाने