हम पर करेगा रहमतें परवर दिगार भी
हम पर करेगा रहमतें परवर दिगार भी हालात अपने होंगे कभी साज़गार भी, तू ने भुला दी चाहतें
Dua Poetry
हम पर करेगा रहमतें परवर दिगार भी हालात अपने होंगे कभी साज़गार भी, तू ने भुला दी चाहतें
हमें ये खौफ़ था एक दिन यहीं से टूटेंगे हमारे ख्वाब तुम्हारी तहीं से टूटेंगे, बददुआ तो नहीं
इस नये साल पे ये सदा है ख़ुदा से सलामत रहे वतन हर एक बला से, न पलकों
कोई ज़ब्त दे न जलाल दे मुझे सिर्फ़ इतना कमाल दे, मुझे अपनी राह पे डाल दे कि
मेरे ख़ुदा मुझे वो ताब ए नय नवाई दे मैं चुप रहूँ भी तो नग़्मा मेरा सुनाई दे,
किस सिम्त चल पड़ी है खुदाई ऐ मेरे ख़ुदा नफ़रत ही दे रही है दिखाई ऐ मेरे ख़ुदा,
तारीफ़ उस ख़ुदा की जिसने जहाँ बनाया कैसी हसीं ज़मीं बनाई क्या आसमां बनाया, मिट्टी से बेल बूटे
यहाँ मरने की दुआएँ क्यूँ मांगूँ ? यहाँ जीने की तमन्ना कौन करे ? ये दुनियाँ हो या
ये कब चाहा कि मैं मशहूर हो जाऊँ बस अपने आप को मंज़ूर हो जाऊँ, नसीहत कर रही
जो नेकी कर के फिर दरिया में उसको डाल जाता है वो जब भी दुनिया से जाता है