बुझ गई आँख तेरा इंतज़ार करते करते
टूट गए हम एक तरफ़ा प्यार करते करते,
क़यामत है इज़हार करने की अदा उसकी
कर देती है इंकार वो इज़हार करते करते,
इतना भी आसां नहीं ज़िस्म के पार जाना
लोग डूबे ही है ये ज़िस्म पार करते करते,
न जाने कब बिछड़ गए तुझ से ऐ ज़िन्दगी
ख़्वाब पूरे होने का ऐतबार करते करते,
ज़माना ये कि गर लिख दूँ कागज़ पे सच
हर्फ़ बौखला जाते है तकरार करते करते..!!
~दर्पन कानपुरी