भुला भी दे उसे जो बात हो गई प्यारे
नए चराग़ जला रात हो गई प्यारे,
तेरी निगाह ए पशेमाँ को कैसे देखूँगा ?
कभी जो तुझ से मुलाक़ात हो गई प्यारे,
न तेरी याद न दुनिया का ग़म न अपना ख़याल
अजीब सूरत ए हालात हो गई प्यारे,
उदास उदास हैं शमएँ बुझे बुझे साग़र
ये कैसी शाम ए ख़राबात हो गई प्यारे,
वफ़ा का नाम न लेगा कोई ज़माने में
हम अहल ए दिल को अगर मात हो गई प्यारे,
तुम्हें तो नाज़ बहुत दोस्तों पे था जालिब
अलग थलग से हो क्या बात हो गई प्यारे..??
~हबीब जालिब