बेबसी से हाथ अपने मलने वाले हम नहीं

बेबसी से हाथ अपने मलने वाले हम नहीं
मेहरबानी पर किसी की पलने वाले हम नहीं,

रहगुज़र अपनी जुदा है फ़ल्सफ़ा अपना अलग
जा तेरे नक़्श ए क़दम पर चलने वाले हम नहीं,

एक बस दिल का किया है जान ए जाँ तुझ से सवाल
दिल लिए बिन तेरे दर से टलने वाले हम नहीं,

हम कि सूरज की तरह बुज़दिल नहीं ऐ ज़ुल्मतो
तीरगी ए शब से डर कर ढलने वाले हम नहीं,

मक्र का उंसुर हमारी ख़ू में पाओगे न तुम
मीठी बातों से किसी को छलने वाले हम नहीं,

तेरी मर्ज़ी से ही फलती फूलती है ज़िंदगी
तू न चाहे तो ख़ुदाया फलने वाले हम नहीं,

हम कि अपनी ज़ात में बेफ़िक्र ओ बेपरवा हैं शाद
सोज़िश ए रंज ओ अलम में जलने वाले हम नहीं..!!

~शमशाद शाद

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