बे हिसी चेहरे की लहजे की उदासी ले गया
वो मेरे अंदर की सारी बद हवासी ले गया,
फ़स्ल शो’लों की उगाना चाहता था शहर में
माँग कर जो आग कल मुझ से ज़रा सी ले गया,
सुब्ह के अख़बार की सुर्ख़ी ने चौंकाया मगर
रात का एक ख़्वाब सारी बद हवासी ले गया,
आज तो सूरज भी मेरे बाद ही जागा सलीम
कौन फिर गुलदान के सब फूल बासी ले गया..??
~सलीम अंसारी
























