बज़ाहिर प्यार की दुनियाँ में जो नाकाम…

बज़ाहिर प्यार की दुनियाँ में जो नाकाम होता है
कोई रूसो कोई हिटलर कोई खय्याम होता है,

ज़हर देते हैं उसको हम कि ले जाते हैं सूली पर
यही हर दौर के मंसूर का अंजाम होता है,

जुनून ए शौक में बेशक लिपटने को लिपट जाएँ
हवाओं में कहीं महबूब का पैगाम होता है,

सियासी बज़्म में अक्सर ज़ुलेखा के इशारों पर
हकीकत ये है कि युसुफ आज भी नीलाम होता है..!!

~अदम गोंडवी

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