बदन और रूह में झगड़ा पड़ा है
कि हिस्सा इश्क़ में किस का बड़ा है ?
हुजूम ए गिर्या से हूँ दर ब दर मैं
कि घर में सर तलक पानी खड़ा है,
बुलाती है मुझे दीवार ए दुनिया
जहाँ हर जिस्म ईंटों सा जड़ा है,
झिंझोड़ा है अभी किस ज़लज़ले ने
ज़मीं से ज़िंदगी सा क्या झड़ा है ?
फ़क़त आँखें ही आँखें रह गई हैं
कि सारा शहर मिट्टी में गड़ा है,
तुम्हारा अक्स है या अक्स ए दुनिया
तज़ब्ज़ुब सा कुछ आँखों में पड़ा है,
मैं दरिया जाँ बचाता फिर रहा हूँ
कोई साहिल मेंरे पीछे पड़ा है,
ज़रा सी शर्म भी कर फ़रहत एहसास
बदन तेरा अजब चिकना घड़ा है..!!
~फ़रहत एहसास