अज़ब क़ातिब है इन्साँ में फ़रावानी नहीं भरता
दगाबाज़ी तो भरता है वफ़ादारी नहीं भरता,
भरोसा था तभी तो साथ तेरा दे रहा था मैं
ज़रा भी शक़ अगर होता तो मैं हामी नहीं भरता,
बहुत ख़ुद्दार होना भी अना का एक पहलू है
घड़े का मुँह अगर उल्टा हो तो पानी नहीं भरता,
कोई तो है यक़ीनन जिसने ये मेला लगाया है
खिलौना कैसा भी हो ख़ुद ब ख़ुद चाभी नहीं भरता..!!
























