अज़ब ही मेरे मुल्क की कहानी है
यहाँ सस्ता खून पर महँगा पानी है,
खिले है फूल कागज़ पर यहाँ हर सू
चमन के गुल खिज़ा की निशानी है,
फ़ख्र से चलता दौलतमंद यहाँ पर
यहाँ अफ्लास क्यूँ सिफ़त ए नादानी है,
है सच मय्यूब हर सू तुम ज़रा देखो
वतन में झूठ ओ फ़रेब की हुक्मरानी है,
उगलता ज़र है आँगन मेरे ही घर का
बरहना फिर यहाँ की क्यों जवानी है..??