अब तरसते हो कि बच्चे मेरे बोले उर्दू

अब तरसते हो कि बच्चे मेरे बोले उर्दू
उन्हें अफरंग बनाने की ज़रूरत क्या थी ?

आज रोते हो कि अल्लाह मदद को आये
आख़िर असनाम बनाने की ज़रूरत क्या थी ?

काश ! अपनों से निभाते तो निभाए जाते
हाथ गैरों से मिलाने की ज़रूरत क्या थी ?

था बड़ा ज़ोम तुम्हे अपने हसीं चेहरे पर
फिर भला हमसे छिपाने की ज़रूरत क्या थी ?

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