रोज़मर्रा वही एक ख़बर देखिए
अब तो पत्थर हुआ काँचघर देखिए,
सड़के चलने लगी आदमी रुक गया
हो गया यूँ अपाहिज़ सफ़र देखिए,
सारा आकाश अब इनके सीने में है
काट कर इन परिंदों के पर देखिए,
मैं हकीक़त न कह दूँ कही आपसे
मुझको खाता है हरदम ये डर देखिए,
धूप आती है इनमे न ठंडी हवाएँ
खिड़कियाँ भी हो गई बेअसर देखिए..!!