ऐसे मौसम में भला कौन जुदा होता है

ऐसे मौसम में भला कौन जुदा होता है
जैसे मौसम में तू हर रोज़ खफ़ा होता है,

रोज़ छीन जाता है जीने का सहारा हमसे
रोज़ आँखों से कोई ख़्वाब दफ़ा होता है,

आओ तारिक गुज़रगाहो में ढूँढ़ें उनको
जिनकी पलकों पे मुहब्बत का दीया होता है,

और बढ़ जाता है नादान मुहब्बत पे यकीं
जब किसी बात पे वो शख्स खफ़ा होता है,

तुमको मालूम है दुनियाँ में फ़कीरो का ज़रीन
उनका और कोई भी नहीं सिर्फ़ ख़ुदा होता है..!!

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