उदास एक मुझी को तो कर नही जाता
वह मुझसे रुठ के अपने भी घर नही जाता,
वह दिन गये कि मुहबबत थी जान की बाज़ी
किसी से अब कोई बिछडे तो मर नही जाता,
तुमहारा प्यार तो सांसों मे सांस लेता है
जो होता नशा तो एक दिन उतर नही जाता,
पुराने रिश्तों की बेग़रिज़यां न समझेगा
वह अपने ओहदे से जब तक उतर नही जाता,
‘वसीम’ उसकी तडप है, तो उसके पास चलो
कभी कुआं किसी प्यासे के घर नही जाता..!!
~वसीम बरेलवी
























