इश्क़ कर के मुक़र गई होगी
वो तो लड़की है डर गई होगी,
आदतें सब ख़राब कर के मेरी
आप वो ख़ुद सुधर गई होगी,
कर के वादे भूला दिए होंगे
खा के कसमे मुक़र गई होगी,
उसकी बस एक अदा ही महफ़िल में
सबको दीवाना कर गई होगी,
रूबरू है पर इश्तियाक़ नहीं
नियत शौक़ भर गई होगी,
मैं था पत्थर वो काँच की गुड़ियाँ
टूट कर ही बिखर गई होगी,
मैं जो उससे बिछड़ा हूँ यक़ीनन
वो तो जीते जी मर गई होगी..!!