ख़ुदा की नज़र में एक सा हर बशर होता है

मुफ़्लिस हो कि रईसए शहरकोई
ख़ुदा की नज़र में एक सा हर बशर होता है,

इबादत हो के प्रार्थना या अरदास कही
नज़्रनियाज़ की नीयत में क़सर होता है,

वरना दुआ ए बादशाह हो कि फ़कीर
हर एक की दुआओं में एक सा असर होता हैं,

ना हो यकीं तो आज़मा लो हर दवा से पहले
मुब्तिलामर्ज़ पर दुआओं का असर होता है..!!

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