तरह तरह के सवालात करते रहते हैं

तरह तरह के सवालात करते रहते हैं
अब अपने आप से हम बात करते रहते हैं,

अता हुई है हमें जब से दौलत ए एहसास
ग़मों से सब के मुलाक़ात करते रहते हैं,

ख़ुशी में ख़ुश हूँ मैं जिन की उन्हें ये क्या मालूम
कि ख़ुदकुशी मेरे जज़्बात करते रहते हैं,

नसीहतें न करें अब तो क्या करें कि रईस
यूँही तलाफ़ी ए माफ़ात करते रहते हैं..!!

~रईस रामपुरी

जब से दिल में तेरे बख़्शे हुए ग़म ठहरे हैं

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