वही हालात हैं फ़क़ीरों के

वही हालात हैं फ़क़ीरों के
दिन फिरे हैं फ़क़त वज़ीरों के,

अपना हल्क़ा है हल्क़ा ए ज़ंजीर
और हल्क़े हैं सब अमीरों के,

हर बिलावल है देस का मक़रूज़
पाँव नंगे हैं बेनज़ीरों के,

वही अहल ए वफ़ा की सूरत ए हाल
वारे न्यारे हैं बे ज़मीरों के,

साज़िशें हैं वही ख़िलाफ़ ए अवाम
मशवरे हैं वही मुशीरों के,

बेड़ियाँ सामराज की हैं वही
वही दिन रात हैं असीरों के..!!

~हबीब जालिब

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